गंगा नदी हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र नदी है, हिंदू इस नदी को देवी गंगा के रूप में पूजते हैं। गंगा नदी देवप्रयाग में दो नदियों “अलकनन्दा और भागीरथी” के संगम से पूर्ण होती है । “भागीरथी नदी” गंगा नदी की मुख्य धारा है जो गौमुख से निकलती है और गंगोत्री होते हुए देवप्रयाग में अलकनंदा नदी में मिल जाती है। देवप्रयाग में अलकनन्दा और भागीरथी के संगम से ही गंगा नदी मुख्य रूप से प्रारम्भ होती है और आगे ऋषिकेश, हरिद्वार होते हुये उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से होकर समुन्द्र में मिल जाती है।
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पौराणिक कथाओ अनुसार, “भागीरथी” नाम “भागीरथ” के कारण रखा गया। भगीरथ प्राचीन भारत के एक राजा थे। वह सूर्य वंश के महान राजा सगर के वंशज और भगवान राम के पूर्वजों में से एक थे। भगीरथ अपने पूर्वजो को ऋषि कपिला के श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए, हिमालय में तपस्या करने के लिए चले गए। अपने गुरु त्रिशला की सलाह पर, उन्होंने देवी गंगा को प्रसन्न करने के लिए सालो तक तपस्या की, भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर, देवी गंगा ने भगीरथ से कहा कि अगर वह स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरती हैं, तो उनके वेग की शक्ति को सम्हालना मुश्किल होगा, सभी जगह जल भराव हो जायेगा। देवी गंगा ने भगीरथ को भगवान शिव से सहायता लेने के लिए कहा।
![Gangotri Gangotri](https://www.divinetravelalone.com/wp-content/uploads/elementor/thumbs/DIVINE-TRAVEL-ALONE-6-compressed-php1v8b3vexy3p18i0khjlruevejluv42qmy7h26u8.jpg)
उनके अतिरिक्त कोई भी उनके वेग की शक्ति को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं था । तब भगीरथ ने भगवान शिव की घोर तपस्या की और भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया, जिससे अंततः देवी गंगा का नदी के रूप में अवतरण हुआ।
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