यमुनोत्री मंदिर, भारत के छोटा चार धाम में से एक है और यमुना नदी के उद्गम स्थान के लिये जाना जाता है। यह भारतीय राज्य उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में उत्तरकाशी जिले के बड़कोट शहर में लग-भग 3,291 मीटर (10,797 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। चरम मौसम की स्थिति के कारन मंदिर हर साल अप्रैल से अक्टूबर – नवंबर ( अक्षय तृतीया से भाई दूज ) के बीच ही खुलता है।
यमुना जी सूर्य देव की पुत्री है और यम की बहन है, जैमुनि नामक ऋषि (श्री परशुराम जी के पिता जी ) की तपस्या द्वारा अवतरित हुई, इसलिये इन्हे जमनोत्री नाम से भी जाना जाता है। कालिंद पर्वत में होने के कारन कालिंदी के नाम से भी जाना जाता है। देवी गंगा की तरह देवी यमुना को भी सनातन धर्म में एक दिव्य मां का दर्जा दिया गया है जो भारतीय सभ्यता के पोषण और विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करती है।
यमुना जी का दार्शनिक स्थल, हनुमान चट्टी से 13 किलोमीटर और जानकी चट्टी से 6 किमी दूर है। यमुना जी का वास्तविक स्थल मंदिर से 14 किमी आगे है, जिसे सप्त सरोवर या सप्त ऋषि सरोवर के नाम से जाना जाता है, जहाँ से यमुना जी का उद्गम होता है जो लगभग 4,421 मीटर (14,505 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है।
यमनोत्री धाम आने के लिये बड़कोट शहर से होते हुये, हनुमान चट्टी फिर जानकी चट्टी आना होता है। जानकी चट्टी तक तो 2 या 4 पहिया वाहन से जाया जा सकता है, उसके आगे पैदल चढ़ाई कर के या घोड़े और पालकी किराए पर लेके जाया जा जाता है।
जानकी चट्टी दिल्ली रेलवे स्टेशन से लग – भग 430 किमी और हरिद्वार से लगभग 225 किमी दूर है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून और ऋषिकेश है और सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जॉली ग्रांट, देहरादून है।
आस-पास देखने के स्थान
खरसाली, जिसे खुशीमठ के नाम से भी जाना जाता है, उत्तरकाशी जिले के खरसाली बस्ती में शनि देव मंदिर को शनि देव का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है। यह मंदिर 7,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यमुना देवी मंदिर के कपाट बंद होने पर, देवी की पूजा अर्चना के लिये देवी की मूर्ति को कपाट खुलने तक यहाँ विराजमान किया जाता है।
मेरा अनुभव
मेरा यमुनोत्री धाम की यात्रा का अनुभव काफी रोमांच भरा, दिव्य और यादगार रहा। में जब यमुनोत्री धाम दर्शन करने के लिए गया था , तब मुझे वहां के बारे में कुछ जानकारी नहीं थी, कोई रस्ते का अंदाज़ा नहीं था की कैसे जाना है। बद्रीनाथ जी के दर्शन करने के बाद ही मेरी योजना बानी थी यमुनोत्री और गंगोत्री जाने की, पहले नहीं थी।
बद्रीनाथ जी के दर्शन करने के बाद में श्रीनगर होता हुआ चम्बा गया क्यूंकि मैंने वहां एक बोर्ड लगा हुआ देखा था यमुनोत्री और गंगोत्री जाने के लिये, रस्ते में किसी से पता नहीं करा था। इस वजह से मुझे काफी लम्बा घूम के जाना पढ़ा था, नहीं तो श्रीनगर के आस – पास ही एक रस्ता जा रहा था यमुना जी के लिए जो काफी छोटा था, और जिस रस्ते से में गया था वो काफी धूल – मिट्टी से भरा था , फ़िलहाल जैसे तैसे में यमुनोत्री धाम के लिए जानकी चट्टी पहुँच गया।
वहां पहुँचते – पहुँचते मुझे रात हो गयी थी, तो सबसे पहले कमरा लिया और भोजन कर के रात को विश्राम किया। सुबह 6 बजे ही मैंने होटल वाले को उठा दिया और गरम पानी माँगा क्यूंकि तापमान 0 डिग्री सेल्सियस के करीब था। स्नान करने के बाद होटल से निकल के पहले चाय पी और फिर यात्रा शुरू कर दी। जिन दिनों में गया था उन दिनों वहां कुछ दिनों पहले ही मुख्य मार्ग पर भूस्खलन हुआ था , जिस कारन एक अन्य कच्चा रास्ता बना रखा था। वहां से होते हुये कुल 2 से 3 घंटे तक में यमुनोत्री धाम पहुँच गया। पहले मंदिर दर्शन किया, कुछ देर आस – पास घुमा और यमुना जी का जल लेके वापिस आ गया।
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